Farming tips उत्तराखंड में पर्वती क्षेत्र में गेहूं की खेती की सही रणनीति
Farming tips उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में धान की कटाई के बाद किसान गेहूं की बुवाई की तैयारी शुरू कर देते हैं 15 नवंबर से लेकर दिसंबर के पहले सप्ताह तक बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है यहां के किसानों के लिए मौसम फसल का प्रकार बीज और खेती की तकनीक के प्रमुख भूमिका निभाते हैं
गेहूं की उपयुक्त किस्म का चयन एक आवश्यक कदम
किसानो के लिए उचित गेहूं की किस्म का चयन करना महत्व पूर्ण है क्योंकि मौसम और बारिश पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता इस प्रकार ऐसे किसमे चुननी चाहिए जो कम पानी में भी अच्छे पैदा होते हैं
विशेषज्ञ का दृष्टिकोण
गढ़वाल विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ ईश्वर सिंह का मानना है कि कुछ विशेष किस्म में पर्वती क्षेत्र में बेहतर उत्पादन दे सकते हैं उनका सुझाव पर्वतीय किसानों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है
पर्वती क्षेत्र के लिए अनुशासित गेहूं के किस्में
बियर गेहूं -967 यह किस मुख्य वर्षा आधारित खेती के लिए पर्याप्त है प्रत्येक हेक्टेयर 40 से 45 क्विंटल तक उपज देती है और इससे बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है सामान्य बारिश में सिंचाई की जरूरत नहीं होती और लगभग 95 - 105 दिनों में तैयार हो जाती है
डीवीडबल्यू 187: पार्वती और मैदानी दोनों क्षेत्रों के लिए उपयुक्त वर्ष अधिक कृषि में भी सफल यदि बारिश नहीं होती है तो कर से पांच से सही कर सकता होते हैं ये यह किम प्रति हेक्टेयर 30 - 40 क्विंटल तक पैदावार होती है और 6 महीने तैयार होती है
डीवीडबल्यू 222: यह किम प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल तक उत्पादन देती है और 6 - 7 से 6 की आवश्यकता होती है सामान्य 120 दोनों तैयार होती है और पार्वती क्षेत्र में लोकप्रिय है
पूसा वात्सल्य: आईसीआईइस द्वारा विकसित यह कैसे मैदानी और पर्वतीय दोनों क्षेत्रों में बेहतर उत्पादन देती है प्रति हेक्टेयर 35 - 45 क्विंटल तक उपज देती है और 5 - 7 से चेक जरूरत होती है इसकी फसल 120- 130 दिनो में तैयार हो जाती है
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